November 21, 2025

Police Sahayata Sangathan

पुलिस सहायता संगठन

महामारी से मौतें कम दिखाने का मीडिया का दावा भ्रामक, हर मौत को कोविड से जोड़ना गलत

 

सरकार ने कहा कि अत्यधिक मृत्यु दर एक ऐसा टर्म है जिसका इस्तेमाल सभी कारणों से होने वाली मृत्यु दर के लिए किया जाता है। इन मौतों के लिए कोविड -19 को जिम्मेदार ठहराना पूरी तरह से भ्रामक है। - Dainik Bhaskar

सरकार ने कहा कि अत्यधिक मृत्यु दर एक ऐसा टर्म है जिसका इस्तेमाल सभी कारणों से होने वाली मृत्यु दर के लिए किया जाता है। इन मौतों के लिए कोविड -19 को जिम्मेदार ठहराना पूरी तरह से भ्रामक है।

केंद्र सरकार ने उन मीडिया रिपोर्ट्स को खारिज किया है, जिनमें कहा गया है कि देश में कोरोना से हुई मौतों के आंकड़े कम करके दिखाए गए। सरकार की तरफ से गुरुवार को बयान आया है कि मीडिया रिपोर्ट्स में सभी तरह की मौतों को कोरोना से जोड़ दिया गया है, जिसमें कोई फैक्ट नहीं है और यह पूरी तरह झूठ है।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि भारत में संक्रमण का पता लगाने की बड़ी रणनीति है। इसके अलावा देश में 2,700 से ज्यादा लैब हैं जहां कोई भी जांच करा सकता है। इसके साथ ही लक्षणों और चिकित्सा देखभाल के बारे में जागरूकता अभियान भी चलाए गए, जिससे यह तय हो सके कि लोग जरूरत के वक्त अस्पतालों तक पहुंच सकें। भारत में मजबूत और कानून पर आधारित डेथ रजिस्ट्रेशन व्यवस्था होने के चलते यह गुंजाइश नहीं है कि मौतों का पता न चले।

सीरो-पॉजिटिविटी के आधार पर अधिक मौतों की गिनती
मंत्रालय ने कहा कि मीडिया रिपोर्ट्स में आरोप लगाया गया है कि महामारी के दौरान भारत में मरने वालों की संख्या लाखों में हो सकती है। इनमें कोरोना की आधिकारिक मौतों को काफी कम बताया गया है। लेकिन, अमेरिका और यूरोपीय देशों की आयु-विशेष संक्रमण मृत्यु दर का इस्तेमाल देश में सीरो-पॉजिटिविटी के आधार पर अधिक मौतों की गिनती के लिए किया गया है।

स्टडी गलत धारणा पर है आधारित
अध्ययन इस गलत धारणा पर किया गया है कि किसी भी संक्रमित व्यक्ति के मरने की संभावना पूरे देश में समान है। कई तरह की डायरेक्ट और इनडायरेक्ट वजहों जैसे कि नस्ल, जातीयता, जनसंख्या की जीनोमिक बनावट और बीमारियों के प्रति डेवलप हुई इम्यूनिटी जैसी चीजों को खारिज किया गया है।

सीरो-प्रिवलेंस स्टडी का इस्तेमाल सही नहीं
सीरो-प्रिवलेंस स्टडी का इस्तेमाल न केवल कमजोर आबादी में संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए रणनीति और उपायों का मार्गदर्शन करने के लिए किया जाता है, बल्कि मौतों को अतिरिक्त आधार के रूप में भी उपयोग किया जाता है। स्टडी में यह भी चिंता की बात है कि एंटीबॉडी टाइटर्स समय के साथ कम हो सकते हैं, जिससे रीयल प्रसार को कम करके आंका जा सकता है और संक्रमण मृत्यु दर के अनुरूप अधिक हो सकता है।

सभी मौतों के लिए कोविड -19 को जिम्मेदार ठहराया गया
अत्यधिक मृत्यु दर एक ऐसा टर्म है जिसका इस्तेमाल सभी कारणों से होने वाली मृत्यु दर के लिए किया जाता है। इन मौतों के लिए कोविड -19 को जिम्मेदार ठहराना पूरी तरह से भ्रामक है। सरकार की ओर से कहा गया कि मृत्यु दर के मामले में देखा जा सकता है जो 31 दिसंबर 2020 को 1.45 प्रतिशत थी और अप्रैल-मई 2021 में दूसरी लहर में संक्रमण के मामले अप्रत्याशित रूप से बढ़ने के बाद भी मृत्यु दर आज 1.34 प्रतिशत है।

राज्यसभा में स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया का बयान
राज्यसभा में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने कोरोना से होने वाली मौतों को छिपाने के आरोपों को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार केवल राज्य सरकारों द्वारा भेजे गए आंकड़ों को जुटाती और पब्लिश करती है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय लगातार राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को दिशा निर्देशों के अनुसार मृतकों की संख्या दर्ज करने की सलाह देता रहा है।

 

Source link

यह भी पढ़ें